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Naina Devi Temple Nainital | Naini Lake

 नैना देवी मंदिर नैनीताल Naina Devi Temple Nainital

Naina Devi
Naina Devi Temple


 उत्तराखंड राज्य के नैनीताल जिले में नैना देवी का मंदिर नैनी झील के उत्तरी छोर पर स्थित है इस मंदिर में माता सती की नेत्रों की पूजा की जाती है जब 1880 में यहां पर भूकंप आने के कारण यह मंदिर नष्ट हो गया था  उसके बाद इस मंदिर का पुनः निर्माण किया गया 

नैना देवी मंदिर में श्रद्धालुओं दूर-दूर से यहां पर माता का आशीर्वाद लेने आते रहते हैं इस मंदिर के चारों तरफ वीभिन्न प्रकार के फूल लगाए गए हैं जो मंदिर को अत्यधिक सुंदर एवं आकर्षण का केंद्र बनाते हैं इस मंदिर में नंदा अष्टमी के दिन भव्य आयोजन किया जाता है

 उसी दिन इस मंदिर में नंदा देवी की छोटी बहन नैनी देवी का विसर्जन पूजा अर्चना के साथ किया जाता है इस मंदिर में जाने पर आपको नैनीताल एवं नैनी झील के प्राकृतिक दृश्यों का आनंद देखने को मिलेगा इस मंदिर की दूरी नैनीताल बस स्टैंड से ढाई किलोमीटर के आसपास है यह मंदिर प्रातः 6:00 बजे से रात्रि 10:00 बजे तक खुली रहती है 

History and Mythology of Naina Devi  नैना देवी का इतिहास एवं पौराणिक कथा


 जहां पर माता के दो नेत्र हैं जो नैना देवी को दर्शाती है पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवती शिवा के वरदान के अनुसार पूर्णा प्रकृति ने सती के नाम से दक्ष की पुत्री के रूप में जन्म ग्रहण किया और सती के विवाह योग्य हो जाने पर दक्ष ने उनके विवाह का विचार करना प्रारंभ किया दक्ष अपने अलौकिक बुद्धि से भगवान शिव को समझ नहीं सके और उनकी वेशभूषा को अमर्यादित  ठहराया और उन्होंने विचार कर भगवान शिव से शून्य  स्वयंबर सभा का आयोजन किया |

और देवी सती से आग्रह किया कि वह अपने पसंद के अनुसार वर चुन सकती है भगवान शिव को उपस्थित ना देख कर देवी सती ने ओम नमः शिवाय बोलकर कर वरमाला पृथ्वी पर डाल दी भगवान शिव वहां पर उपस्थित हो गए और उस वरमाला को ग्रहण करके माता सती को अपने साथ ले गए जब माता सती भगवान शिव के साथ कैलाश पहुंच गई उसके बाद दक्ष प्रजापति बहुत दुखी हुए उसके बाद उन्होंने अपनी राजधानी में विराट यज्ञ  का आयोजन किया|

 जिसमें उन्होंने शिव और सती दोनों को आमंत्रित नहीं किया फिर भी सती ने अपने पिता की यज्ञ में जाने का हट किया और शिव जी के द्वारा मना करने पर भी अत्यंत क्रोध में आकर उन्हें अपना भयानक रूप दिखाया देवि का रूप देख कर भगवान शिव वहां से चले गए और उन्हें रोकने के लिए मां जगदंबिका ने 10 महाविद्या का रूप धारण किया|

 फिर भगवान शिव के पूछने पर उन्होंने अपने रूपों  का परिचय दिया फिर भगवान शिव ने मां जगदंबिका से क्षमा याचना की और उसके बाद पूर्णा प्रकृति मुस्कुराकर अपने पिता दक्ष के यज्ञ में जाने को उत्सुक हुई तब शिवजी ने उन्हें रथ पर बैठा कर सम्मान पूर्वक दक्ष के घर भेजा|

इसके बाद जो कथा आती है वह पूर्व वर्णित कथा के अनुसार ही आती है लेकिन इस कथा में कुपित सती छाया सती को  लीला का आदेश देती है और छाया सती के भस्म हो जाने पर बात खत्म नहीं होती बल्कि शिव के प्रसन्न होकर यज्ञ पूर्ण करने के बाद आया सती की देह सुरक्षित तथा देदीप्यमान रूप में यज्ञशाला में मिल जाती है और फिर देवी शक्ति द्वारा पूर्व में ही भविष्यवाणी रूप में बता दिए जाने के कारण अलौकिक पुरुष की तरह शिवजी विलाप करने लगते हैं

 भगवान शिव को इस तरह देखकर भगवान विष्णु उन्हें संभालने के लिए अपना सुदर्शन चक्र भेज देते हैं सुदर्शन चक्र से सती के शव को क्रमशः खंड खंड कर काट दिया जाता है जिसके कारण सती के विभिन्न अंग तथा आभूषणों के विभिन्न स्थानों पर गिरने से वे स्थान शक्ति पीठ बन गए

 देवी सती के अंश धरती पर 51 जगह पर गिरे और वही 51 जगह देवी की शक्ति पीठ बन गई नैना देवी मंदिर में देवी सती के नेत्र गिरे थे तब से यहां पर नैना देवी के रूप में वह पूजी जाती हैं ऐसा माना जाता है कि देवी सती के नेत्रों से अश्रु धारा निकलने के कारण यहां पर नैनी  ताल का निर्माण हुआ उस समय से यहां पर निरंतर शिव पत्नी नंदा पार्वती के रूप में पूजी जाती है

 नैनी झील Naini Lake

नैनीताल में नैनी झील पर्यटकों के लिए सबसे बड़ा आकर्षण का केंद्र है जिसके चारों तरफ हरी-भरी घाटियां हैं जो बहुत सुंदर हैं यहां पर पर्यटक पाल नौकायन,  पेडल वाली नौका का आनंद लेने के लिए इस झील पर आते हैं नैनीताल को तीन संतों की झील भी कहा जाता है

  त्रिऋषि सरोवर के नाम से भी इस झील को जाना जाता है यहां पर तीन  संत अपनी प्यास बुझाने के लिए आये  जिनमें अत्रि, पुलत्स्य  और पुलाह थे जब वे यात्रा कर रहे थे तो उनकोअपनी इस यात्रा के दौरान प्यास लगी और वे कहीं पानी ना मिलने के कारण वह नैनीताल की तरफ चल पड़े 

कहीं पर भी पानी ना मिलने के कारण उन्होंने यहां पर एक गहरा गड्ढा खोदा और  उस गड्ढे में मानसरोवर झील से पानी लाकर भर दिया उसके बाद यहां पर नैनी झील का निर्माण हुआ इस झील का उत्तरी भाग मल्लीताल एवं दक्षिणी भाग तल्लीताल के नाम से जाना जाता है यह झील बहुत लंबी है इनके पास में बस स्टेशन टैक्सी स्टेशन रेलवे की टिकट भी उपलब्ध होती हैं 

पर्यटकों के लिए For tourists

नैनीताल में गर्मियों के दिनों में यहां की खूबसूरती और सर्द मौसम सैलानियों को अपनी और आकर्षित करता है वहीं अगर सर्दियों की बात करें तो बर्फबारी और विंटर स्पोर्ट्स जिन लोगों को पसंद है उन लोगों के लिए यह नैनीताल घूमने का बहुत अच्छा अवसर होता है

 जिन लोगों को नाव में घूमना पसंद है उनके लिए नैनीताल बहुत अच्छी जगह है यहां के प्राकृतिक सौंदर्य को देखकर एवं सुंदर झीलों का दर्शन करके लोगों को बहुत आनंद मिलता है जिन लोगों को बर्फ में घूमना एवं पहाड़ों की सैर करना पसंद है उनके लिए यहां पर आकर अपने मन की इच्छा पूरी करने का अच्छा अवसर है

 वायु मार्ग 

    वायु मार्ग से  नैनीताल पहुंचने के लिए वहां का निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर है पंतनगर से नैनीताल की दूरी 71 किलोमीटर है यहां से देहरादून दिल्ली पिथौरागढ़  के लिए उड़ानें भरी जाती है

 रेल मार्ग

रेल मार्ग से निकटतम रेल मार्ग काठगोदाम है जो हल्द्वानी में पड़ता है यहां से 35 किलोमीटर की दूरी पर नैनीताल है आप रेलवे स्टेशन से टैक्सी या बस के माध्यम से भी पहुंच सकते हैं 

सड़क मार्ग


सड़क मार्ग से नैनीताल राष्ट्रीय राजमार्ग 87 से जुड़ा हुआ है दिल्ली आगरा देहरादून हल्द्वानी हरिद्वार लखनऊ कानपुर और बरेली से रोडवेज की बसें नियमित रूप से चलती रहती हैं
 Naina Devi Temple Nainital Map

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