हल्द्वानी का इतिहास History of Haldwani
आप सभी को मेरा नमस्कार आज हम हल्द्वानी के इतिहास के बारे में एवं वहां के मुख्य पर्यटन स्थल कहां-कहां है इस बारे में जानेंगे हल्द्वानी उत्तराखंड राज्य के नैनीताल जिले में स्थित है यह स्वयं में एक महानगर है हल्द्वानी उत्तराखंड राज्य में तीसरे नंबर का सबसे अधिक आबादी वाला शहर है इस शहर को कुमाऊ का प्रवेश द्वार भी कहते हैं हल्द्वानी शहर में बोलने वाली भाषाओं में हिंदी कुमाऊनी पंजाबी एवं अन्य भाषाएं बोली जाती हैं
अगर हम हल्द्वानी शहर की स्थापना के बारे में बात करें तो हल्द्वानी शहर की स्थापना 1834 मैं हुई थी उस समय इस जगह को पहाड़ का बाजार के नाम से जाना जाता था यहां पर हल्दु के अत्यधिक वृक्ष होने के कारण इसका नाम हल्द्वानी पड़ा हल्दु एक वृक्ष होता है जिसे वहां की क्षेत्रीय भाषा में हल्द्वाणी कहा जाता है और इसी कारण यहां के स्थानीय लोग हल्द्वानी को हल्द्वाणी कहते हैं
मुगल इतिहासकार इस बारे में बताते हैं कि 14वी शताब्दी में चंद वंश के ज्ञानचंद जो एक स्थानीय शासक थे उन्होंने दिल्ली सल्तनत का दौरा किया और वहां के सुल्तान से अनुदान मांगा उस अनुदान के रूप में गंगा भाबर तराई क्षेत्र को ले लिया उसके बाद मुगलों ने यहां पर रहने की कोशिश की लेकिन उनसे पहाड़ी क्षेत्रों में कब्जा नहीं हो सका क्योंकि यहां की पहाड़ि भूमि बहुत ज्यादा परिश्रम वाली थी जिसके कारण उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था
उसके बाद 1816 में अंग्रेजों ने गोरखों को परास्त करके कुमाऊ का आयुक्त गार्डनर को नियुक्त किया उसके बाद मैं चार्ज विलियम ट्रेन ने आयुक्त का पदभार संभाला इनके पदभार संभालने के बाद 1834 में हल्द्वानी का नाम हल्दू वनी से हल्द्वानी रखा गया
ब्रिटिश शासन काल के अभिलेखों से पता चलता है कि इस स्थान में 1834 के लगभग एक मंडी यहां पर स्थापित की गई थी और लोगों को बसाया गया था उस समय यहां लोग शीत ऋतु में भाभर जो तराई क्षेत्र था वहां आया करते थे जो इसका पुराना शहर था वह हल्दु में स्थित था उस समय वहां केवल घास फूस के घर हुआ करते थे
1850 के बाद यहां पर ईंट पत्थरों के द्वारा घरों का निर्माण कार्य शुरू किया गया 1831में इस नगर का पहला अंग्रेजी माध्यमिक विद्यालय स्थापित किया उसके बाद सन 1856 में सर हेनरी रैम्से कुमाऊं का पदभार सँभालने के लिए नियुक्त किये गए
भारत में सन 18 57 मैं जब प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम हुआ इस दौरान यहां के क्षेत्र पर कुछ समय के लिए रोहिलखंड के विद्रोहियों द्वारा अधिकार कर लिया गया उसके बाद सर हेनरी द्वारा यहां पर मार्शल कानून लगाया गया और उसके बाद 1858 तक इस क्षेत्र को विद्रोहियों से मुक्त किया गया जिन लोगों पर विद्रोह करने का आरोप लगा था उनको अंग्रेजों ने नैनीताल में गधेरा फांसी मैं सूली पर चढ़ा दिया था
उसके बाद सर 1882 मैं सर विलियम रैम्से ने नैनीताल एवं काठगोदाम को सड़क मार्ग से जोड़ने का काम किया सर 1883- 684 मैं बरेली एवं काठगोदाम के बीच रेल मार्ग का कार्य शुरू हुआ और यहां ट्रेन आने लगी 24 अप्रैल 18 84 के दिन यहां पर पहली रेलगाड़ी लखनऊ से हल्द्वानी पहुंची थी और उसके बाद रेल मार्ग बढ़ा कर काठगोदाम तक कर दिया गया 1819 तक जब तक नैनीताल अलग जिला नहीं बना था उससे पहले हल्द्वानी कुमाऊं जिले का भाग हुआ करता था
उसके बाद सन 18 85 में टाउन अधिनियम के तहत 1 फरवरी 1897 को हल्द्वानी नगरपालिका के रूप में घोषित हुआ 1899 मैं यहाँ तहसील कार्यालय खोला गया जब यह भाभर का तहसील मुख्यालय बनाया गया था उस समय भाभर नैनीताल जिले के चार भागों में से एक था उस समय यह 3313 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ था
उस समय हल्द्वानी में 4 कस्बों 511 ग्रामों के साथ 1901 मैं यहां की कुल आबादी 93445 थी
1904 मैं हल्द्वानी को अधिसूचित क्षेत्र के रूप में शामिल किया गया उसके बाद सन् 1960 में हल्द्वानी को शहर का दर्जा दिया गया हल्द्वानी काठगोदाम नगर परिषद की स्थापना 21 सितंबर 1942 को हुई वर्तमान स्थिति में हल्द्वानी हरिद्वार के बाद उत्तराखंड राज्य का दूसरा सबसे बड़ा नगर परिषद है
Haldwani Tourist Places हल्द्वानी के पर्यटन स्थल
वैसे तो हल्द्वानी में पूरे साल भर पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है लेकिन इसके साथ-साथ यहाँ की खास बात यह है कि यहां पर बहुत अधिक प्राकृतिक झीलें हैं जो अपनी स्वाभाविक सुंदरता के कारण पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं
यहां पर मुख्य पर्यटन स्थल के रूप में जिम कार्बेट नेशनल पार्क, नैनीताल झील, राज भवन, हनुमानगढ़ी, भीमताल, कालाढूंगी, हल्द्वानी, रामनगर, काठगोदाम, भवाली, मुक्तेश्वर, सातताल, बेतालघाट, इसके साथ साथ आप अन्य पर्यटन स्थलों पर भी जा सकते हैं जो हल्द्वानी से थोड़ी दूरी पर पढ़ते हैं यहां आने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन काठगोदाम है
यह नैनीताल से 34 किलोमीटर की दूरी पर है वहीं दिल्ली से यहां की दूरी 320 किलोमीटर है पंतनगर हवाई अड्डे से 55 किलोमीटर की दूरी है यहां पर पर्यटकों के ठहरने के लिए रिसोर्ट होटल धर्मशालाएं हैं पर्यटक अपनी सुविधानुसार किसी भी स्थान में ठहर सकते हैं
jeolikot Nainital ज्योलिकोट नैनीताल
अगर आप ज्योलिकोट जाना चाहते हैं तो हल्द्वानी से 23 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद आप ज्योलिकोट हिल स्टेशन पहुंच जाएंगे यह बहुत अच्छा पर्यटन स्थल है जो कि नैनीताल जिले में पड़ता है यहां पर प्राकृतिक सौंदर्य एवं पहाड़ों की खूबसूरती शुद्ध पर्यावरण का आनंद लेने के लिए दूर-दूर से पर्यटक आते रहते हैं
जो व्यक्ति प्रकृति प्रेमी है एवं जिन को सुंदर एवं घने जंगलों में घूमना पसंद है उनके लिए यह स्थान बहुत अच्छा है यहां पर आपको आध्यात्मिक एवं मानसिक शांति की प्राप्ति अवश्य होगी जिन लोगों को ध्यान करना पसंद है वह यहां पर आकर आध्यात्मिक चिंतन एवं ध्यान साधना कर सकते हैं
Gola Dam Haldwani गोला डैम हल्द्वानी
अगर आप हल्द्वानी घूमने आए हैं तो आप गोला बांध जरूर जाएं यह दो पहाड़ियों के बीच में गोला नदी पर बना है
यह नदी हिमालय के पर्वत श्रृंखलाओं से निकलकर रामगंगा में मिल जाती है इस नदी के किनारों पर सुंदर प्राकृतिक सौंदर्य पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बने रहते हैं
इस बांध को देखने के लिए पर्यटक यहां पर आते रहते हैं यहां की खूबसूरती को देखते हुए यहां पर लोग पिकनिक मनाने भी आते रहते हैं स्थानीय लोग इस जगह की खूबसूरती का आनंद लेने तो आते ही हैं साथ-साथ में दूर-दूर से पर्यटक भी यहां पर इसका आनंद लेने आते रहते हैं
Haldwani Map
2 Comments
✌✌
ReplyDeleteThanks 👍 brothar
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