History of Pithoragarh in Hindi -पिथौरागढ़ का इतिहास हिंदी में
उत्तराखंड राज्य में स्थित पिथौरागढ़ एक जिला है जो कुमाऊं मंडल में पड़ता है पिथौरागढ़ का पुराना नाम सोरघाटी था क्योकि यहाँ बहुत सारे तालाब हुआ करते थे सोर का अर्थ सरोवर होता है सरोवर में पानी सूखने के कारण यह स्थान पठारी भूमि में बदल गया जिसके कारण इस जगह का नाम पिथौरागढ़ रखा गया
अगर हम पिथौरागढ़ के इतिहास के बारे में बात करें तो पिथौरागढ़ का इतिहास बहुत पुराना है पिथौरागढ़ को मिनी कश्मीर के नाम से भी जाना जाता है नेपाली शासक पाल नाम के राजा के अधीन पिथौरागढ़ हुआ करता था जो तेरहवीं शताब्दी मैं पिथौरागढ़ पहुंचे थे
उसके बाद उन्होंने पिथौरागढ़ में शासन करना शुरू किया वहां के स्थानीय राजा वहां के चंद थे जिन्होंने नेपाल के राजा के खिलाफ विद्रोह कर दिया और पाल एवं चंद के बीच युद्ध आरंभ हुआ यह युद्ध तीन पीढ़ियों तक चलता रहा जिसमें कभी पाल शासन करते थे और कभी चंद शासन करते थे अंततः चंद्र वंश के राजा जो पिथौरा चंद्र थे उन्होंने पाल को परास्त कर दिया और पिथौरागढ़ के राजा बन गए इसलिए इस जगह का नाम पिथौरागढ़ के राजा के नाम पर रखा गया
जब उन्होंने पिथौरागढ़ पर जीत हासिल कर ली उसके बाद उन्होंने वहां पर अपना किला स्थापित किया जो वर्तमान में तहसील के रूप में जाना जाता हैईस्ट इंडिया कंपनी का भारत में आने के बाद पिथौरा चंद राजा का शासन समाप्त कर दिया गया और उसके बाद अंग्रेजों ने भारत के आजाद होने तक यहां पर राज किया पिथौरागढ़ में ज्यादातर लोग वहां के मूल निवासी हैं लेकिन आजादी के बाद से पहले यहां पर राजस्थान पंजाब आदि जगह से लोग रहने के लिए आए
पिथौरागढ़ के इतिहास के बारे में अलग-अलग बातें कही गई हैं एटकिंस के अनुसार _चंद्र वंश के सीमांत पीरु भाई गोसाई द्वारा पिथौरागढ़ की स्थापना की गई थी जब चंद्र वंश का शासन चल रहा था उस समय राजा भारतीय चंद के शासनकाल में वर्ष 1437 से लेकर वर्ष 1450 मैं उनके पुत्र रत्न चंद ने नेपाल के राजा को सोर घाटी में परास्त करके अपना कब्जा कर लिया था
उसके कुछ समय बाद 1449 मैं इस जगह को कुर्मांचल मैं मिला दिया गया रत्नचंद के शासन काल के दौरान पृथ्वी गोसाई ने इस जगह पर पिथौरागढ़ नाम से एक किला का निर्माण किया था उसके बाद इस किले के नाम पर ही इस जगह का नाम रख दिया गया पिथौरागढ़ के इतिहास में पृथ्वीराज चौहान का नाम भी आता है
इतिहासकार बताते हैं कि जब पृथ्वीराज चौहान अपने राज्य का विस्तार कर रहे थे उस समय उन्होंने इस जगह को भी अपने राज्य में मिला लिया था और इस जगह का नाम राय पिथौरा रखा गया उस समय राजपूत अपने शासन के समय जिस जगह पर राज करते थे उस जगह का नाम स्वयं रखते थे
उसके कुछ समय बाद चंद वंश और कत्यूरी राजाओं के समय में इस जगह का नाम पृथ्वी गढ़ हो गयाउसके बाद यहां मुस्लिम शासकों का राज हो गया उनकी भाषा अलग होने के कारण वह इस जगह को पिथौरागढ़ कहने लगे तब से इस जगह का नाम पिथौरागढ़ पड़ गया
Best Tourist places in Pithoragarh -पिथौरागढ़ में पर्यटन स्थल
पिथौरागढ़ एक बहुत ही सुंदर शहर है यह शहर अपनी सुंदर घाटियों के कारण एवं प्रकृति सौंदर्य के लिए जाना जाता है मिनी कश्मीर कहा जाने वाला पिथौरागढ़ पर्यटकों के लिए ऐतिहासिक पौराणिक एवं दर्शनीय आकर्षण से परिपूर्ण है
पिथौरागढ़ के आसपास पर्यटन के लिए घूमने फिरने के लिए एवं ट्रैकिंग करने के लिए धार्मिक मंदिरों के दर्शन करने के लिए यहां पर बहुत सारे अच्छे सुंदर एवं मन को मोह लेने वाले प्राकृतिक सौंदर्य के साथ साथ सुंदर पहाड़ियों के दृश्य आपको देखने को मिलेंगे
Pithoragarh Fort -पिथौरागढ़ किला
1789 मैं गोरखाओं द्वारा यह प्राचीन पिथौरागढ़ का किला बनाया गया था पिथौरागढ़ के प्रमुख स्थलों में से यह सबसे प्राचीन किला है इसी कारण इस किले को गोरखा किले किला भी कहा जाता है पिथौरागढ़ की संरचना काली नदी पर स्थित होने के कारण बहुत ही सुंदर एवं आकर्षण का केंद्र है
पिथौरागढ़ का किला सोर घाटी का जो क्षेत्र है उसमें सबसे ऊपर स्थित है इस किले मैं पर्यटक ट्रैकिंग का आनंद लेने भी आते रहते हैं और इसके साथ साथ लंबी यात्रा करने का अनुभव भी लेते हैं यह किला प्राचीनतम होने के कारण बहुत सुंदर दिखता है यहां से आप चारों तरफ का नजारा देख सकते हैं
Chandak Hill Pithoragarh -चंडक पहाड़ी पिथौरागढ़
अगर आपको पहाड़ों के रास्ते हरे-भरे जंगलों से ट्रैकिंग करना पसंद है तो यह चंडक पहाड़ी आपके लिए एक बहुत अच्छा अनुभव प्राप्त करने का अवसर होगा यहां के प्रमुख स्थलों में से चंडक ट्रैकिंग के लिए जाना जाता है पिथौरागढ़ से 8 किलोमीटर की दूरी पर चंडक स्थित है
हिमालय पर्वत के सुंदर एवं मनमोहक दृश्यों से सजा हुआ है चंडक की पहाड़ी से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद एक हिंदू मंदिर है जो भगवान मनु को समर्पित है इस मंदिर में हर वर्ष अगस्त एवं सितंबर माह में भव्य एवं शानदार मेले का आयोजन होता है यह मंदिर पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना रहता है यहां से सुंदर हिमालय के पर्वत एवं हरी-भरी पहाड़ियां देखने को मिलती हैं
Thal Kedar Temple Pithoragarh -थल केदार मंदिर
थल केदार का मंदिर पिथौरागढ़ |
भगवान शंकर का थल केदार का मंदिर पिथौरागढ़ के लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है यह एक धार्मिक स्थान है पिथौरागढ़ से 15 किलोमीटर की दूरी पर आपको भव्य एवं सुंदर मंदिर के दर्शन प्राप्त होंगे
शिवरात्रि के पावन पर्व में भगवान शंकर के इस केदार मंदिर में श्रद्धालुओं की बहुत अधिक भीड़ रहती है यहां पर दूर-दूर से पर्यटक एवं श्रद्धालु भगवान शंकर के थल केदार मंदिर के दर्शन हेतु आते रहते हैं
Ascot Sanctuary Pithoragarh -अस्कोट अभ्यारण्य पिथौरागढ़
अस्कोट अभयारण्य |
पिथौरागढ़ के इस अभयारण्य में वन्य जीव जंतुओं एवं वनस्पतियों के साथ-साथ आपको प्राकृतिक सौंदर्य को देखने का आनंद भी प्राप्त होगा यहां पर मुख्य रूप से तीतर, कोयल, भील, हिमालय काले भालू, कस्तूरी मृग, चकोर, आदि वन्य जीव जंतु देखने को मिलेंगे इसके साथ-साथ यहां पर धार्मिक मंदिर भी है अपनी इस यात्रा के दौरान आप यहाँ मंदिरो के दर्शन भी कर सकते हो
Gangolihat Pithoragarh -गंगोलीहाट पिथौरागढ़
गंगोलीहाट |
रामगंगा एवं सरयू नदी से यह शहर दोनों तरफ से घिरा हुआ है हिमालय पर्वत की चोटियों की सुंदरता इस शहर से स्पष्ट दिखती है इसके साथ-साथ हिमालय पर्वत की चोटियां इस शहर की सुंदरता को और बढ़ा देते हैं इस शहर में बहुत गहरी गुफाएं भी हैं
इसलिए इस शहर को गहरी गुफा के लिए भी जाना जाता है पर्यटकों के लिए यह स्थान बहुत ही सुंदर एवं अनोखे दृश्यों से भरपूर है
Pithoragarh Map
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