History of Pouri Garhwal | पौड़ी गढ़वाल का इतिहास
pauri garhwal |
भारतवर्ष के उत्तराखंड राज्य में पौड़ी गढ़वाल जिला स्थित है पौड़ी गढ़वाल के इतिहास पर एक नजर डालते हैं गढ़वाल एक ऐतिहासिक शहर होने के कारण पौड़ी नाम के आगे गढ़वाल शब्द को जोड़ा गया गढ़वाल के पौराणिक काल की अवधि और अंग्रेजों के समय को बयां कर सके|
पौड़ी के चारों तरफ घनी पहाड़ियां हैं जिसके कारण यहां का नजारा बहुत सुंदर दिखाई देता है पौड़ी अपनी ऐतिहासिक गतिविधियों के कारण भी जाना जाता है पौड़ी की ऊंचाई समुद्र तल से 1750 मीटर है पौड़ी को अपनी खूबसूरत वादियों के कारण जाना जाता है|
पौड़ी में पौराणिक धार्मिक स्थल है जिसके कारण पौड़ी धार्मिक स्थलों के कारण भी जाना जाता है सन 1992 में पौड़ी को हिल स्टेशन के रूप में घोषित कर दिया गया पौड़ी गढ़वाल का वह हिस्सा है जिसमें कई राजाओं ने राज किया है इसके साथ-साथ पौराणिक कथाओं के अनुसार यहां भगवानों ने भी राज किया है
उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में सर्वप्रथम कत्यूरी राजवंश का शासन था जब कत्यूरी राजवंश के लोगों का यहां से पतन हो गया कत्यूरी राजवंश के पतन के बाद तब गढ़वाल के क्षेत्र 64 छोटे-छोटे कबीलों में बंट गए थे इन छोटे-छोटे कबीलों में उनके सरदार ही राज किया करते थे|
परंतु उसके कुछ समय बाद अजय पाल ने चंद्रपुर गढ़ का नाम बदलकर गढ़वाल रख दिया उसके बाद अजय पाल और उनके वंशजों ने यहां पर 300 वर्ष तक अपना शासन चलाया इनका शासन तब समाप्त हुआ उसके बाद सन 1804 में गोरखा ने गढ़वाल पर आक्रमण कर दिया था उसके बाद गढ़वाल में गोरखों का राज हो गया था|
पौड़ी गढ़वाल में श्रीनगर की एक बहुत बड़ी भूमिका रही है इसकी स्थापना गढ़वाल नरेशों द्वारा सन 1358 में की गयी थी गोरखा को हराने के बाद जब ब्रिटिश 1815 में श्रीनगर आए थे तो उन्होंने अपनी राजधानी श्रीनगर को ही बनाया था 25 साल तक ब्रिटिशों की राजधानी श्रीनगर थी|
इसके बाद 1840 में अंग्रेजों ने अपनी राजधानी पौड़ी को बनाया था 196 9 में गढ़वाल डिवीजन का केंद्र बना और इसका मुख्यालय पौड़ी को बनाया गया पौड़ी गढ़वाल में गोना झील के टूट जाने से सन 18 94 में यहां पर बहुत बड़ी बाढ़ आई थी इसके बाद पौड़ी को उभरने में बहुत समय लगा सन 1973 में नारायण दत्त तिवारी ने गढ़वाल यूनिवर्सिटी की स्थापना पौड़ी में की थी
Best Tourist Places in Pauri | पौड़ी में पर्यटन स्थल
पौड़ी पर्यटकों के लिए एक बहुत सुंदर स्थल है पौड़ी चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरा हुआ है पौड़ी के चारों तरफ सुंदर पर्वत मालाएं होने के कारण यह बहुत सुंदर दिखाई देता है चारों तरफ हरे भरे पेड़ एवं प्रकृति अपना सौंदर्य बिखेरती हुई नजर आती है देहरादून से पौड़ी की दूरी 153 किलोमीटर है वहीं अगर आप हरिद्वार से जाना जाते हैं तो हरिद्वार से पौड़ी की दूरी 138 किलोमीटर है अगर हम यहां के पर्यटन स्थलों की बात करें तो
Condolea | कंडोलिया
कंडोलिया यहां के पर्यटन स्थलों में से एक है पौड़ी से कंडोलिया की दूरी लगभग 2 किलोमीटर है यह भगवान शिव का मंदिर है यहां भगवान शिव भूमि देवता के रूप में पूजे जाते हैं इससे कुछ दूरी पर एशिया का ऊंचाई पर सबसे बड़ा स्टेडियम रांची भी है जहां आप घूमने जा सकते हैं यह स्थान गर्मियों के समय में घूमने के लिए उपयुक्त है यहां पर गर्मियों में पर्यटक बहुत संख्या में आते हैं अगर आप गर्म कपड़े अपने साथ लेकर आ सकते हैं तो यहां पर आप किसी भी समय आ सकते हैं
Jwalpa Devi Temple| ज्वालपा देवी मंदिर
ज्वालपा देवी मंदिर मां दुर्गा के प्रसिद्ध सिद्ध पीठ है यह मंदिर पौड़ी कोटद्वार सड़क मार्ग पर 33 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है नवरात्रों के समय मा ज्वालपा देवी की विशेष पूजा अर्चना की जाती है यहां पर संस्कृत विद्यालय होने के कारण दूर-दूर से पढ़ने के लिए विद्यार्थी आते हैं यह स्थान यहां के क्षेत्रवासियों के लिए मां देवी का प्रसिद्ध शक्तिपीठ है यहां पर मां जालपा देवी के दर्शन के साथ-साथ आप प्राकृतिक सौंदर्य एवं यहां के ऐतिहासिक महत्व को भी जान सकेंगे यहां पर पर्यटकों के लिए विश्राम गृह बनाए गए हैं इसके साथ-साथ जो पर्यटक यहां रह रुकना चाहते हैं उनके लिए धर्मशालाएं भी उपलब्ध हैं यह मंदिर नायर नदी के किनारे उत्तरी छोर पर स्थित है
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