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Best Place to Visit in Mussoorie: Best time to visit Mussoorie

Best Place to Visit in Mussoorie: Best time to visit Mussoorie

Best Place to Visit in Mussoorie: Best time to visit Mussoorie
Place to Visit in Mussoorie
मसूरी उत्तराखंड राज्य के देहरादून जिले में स्थित है मसूरी देहरादून से 35 किलोमीटर दूर है देहरादून का मसूरी पर्यटन स्थल है जहां पर्यटक बार-बार आते रहते हैं यह पर्यटन स्थल हिमालय पर्वत श्रृंखला के मध्य हिमालय श्रेणी में स्थित है मसूरी को पर्वतों की रानी भी कहा जाता है मसूरी से  समुद्र तल से ऊंचाई 2005 मीटर एवं 6500 फिट  है| इसमें हरे-भरे पर्वतों की श्रृंखलाएं एवं वनस्पतियां हैं|

 मसूरी के दक्षिण में दून घाटी और शिवालिक श्रेणीया दिखाई देती हैं जिसके कारण मसूरी पर्यटकों के लिए एक सुंदर स्थान बन चुका है मसूरी गंगोत्री तीर्थ स्थल का प्रवेश द्वार है मसूरी ऊंचाई पर होने के कारण यहां साल भर ठंडा मौसम रहता है यहां अत्यधिक ठंड होने पर बर्फ़बारी होती रहती है मसूर के पौधे बहुत अधिक मात्रा में यहां पर होने के कारण इसका नाम मसूरी पड़ा|

 दिल्ली उत्तर प्रदेश हरियाणा राजस्थान पंजाब इन राज्यों के लोगों का यह मुख्य पर्यटन स्थल है मसूरी में घूमने के लिए गर्मियों का मौसम बहुत अच्छा है गर्मियों में मैदानी क्षेत्रों में गर्मी अधिक होने के कारण अक्सर लोग मसूरी घूमने चले जाते हैं मसूरी पर्यटकों के लिए भी बहुत सुंदर स्थान है|

Know about Mussoorie मसूरी की भौगोलिक स्थिति का परिचय

मसूरी पर्वतों की चोटी पर बसा एक बहुत सुंदर नगर है जिन पर्वतों पर मसूरी बसा हुआ है वे  हरे भरे हैं एवं उनमें बर्फ गिरती रहती हैं मसूरी से हिमालय पर्वत दिखाई देता है चोटी पर होने के कारण मसूरी से आप प्रकृति का एवं पहाड़ों का भरपूर आनंद ले सकते हैं मसूरी में जलप्रपात भी देखने को मिलते हैं| समुद्र तल से ऊंचाई 2005 मीटर एवं 6500 फिट

Mussoorie History | मसूरी का इतिहास

मसूरी का इतिहास 1823 से प्रारंभ होता है 1823 में अंग्रेजों के अफसर एफ.जे. शोर और उनके मित्र मिलिट्री अधिकारी कैप्टन यंग  पर्वतारोहण करते हुए इस जगह पहुंचे थे दून घाटी का मनोरम दृश्य जब उन्होंने यहां से देखा तो उन्होंने इस जगह से मोहित होकर कैमल बैक की ढलान पर शिकार करने के लिए एक मचान  बनाया|

 इसके कुछ समय बाद अंग्रेजों द्वारा यहां पर एक भवन निर्माण किया गया 1828 में लंढोर बाजार की स्थापना की गई 1829 में मिस्टर लारेंस ने अपनी पहली दुकान लंढोर बाजार में खोली  उसी लंढोर बाजार में मसूरी का डाकखाना वर्तमान में है

 अंग्रेजों ने पहले जितने पहाड़ी नगर बसाए उन सभी के मुख्य हिस्से का नाम माल रखा गया था उसी तरह अंग्रेजो के शासन काल के समय मसूरी में भी माल रोड पिक्चर पैलेस  से पब्लिक लाइब्रेरी तक माल रोड के नाम से जाना जाता था
ब्रिटिश शासन काल के समय अंग्रेजों ने भारतीयों से हमेशा भेदभाव किया उन्होंने मसूरी में माल रोड पर बोर्ड लगा रखा था कि भारतीय और  कुत्तों को प्रवेश करने की अनुमति नहीं है

 उनके शासनकाल में कहा जाता है कि मोतीलाल नेहरू मसूरी प्रवास में जब भी आते थे तो वे  अंग्रेजों के बनाये गए इस नियम को हमेशा तोड़ देते थे 1832 में भारत सरकार के सर्वेयर सर जॉर्ज एवरेस्ट ने यहां पर ट्रिग्नोमेट्रीकल सर्वे करने का दफ्तर बनाया था|

 जॉन मैकेन ने मसूरी में सेमिनरी के नाम से पहला पब्लिक स्कूल स्थापित किया था 1890 में हरिद्वार से देहरादून तक रेलवे का निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ रेलवे का निर्माण कार्य प्रारंभ होने के बाद मसूरी की लोकप्रियता और अधिक बढ़ गई 1901 में भारत की कुल आबादी का 78 फ़ीसदी ब्रिटिश लोग यहाँ रहा करते थे

 1926 से 1931 तक मसूरी में अंग्रेजों द्वारा पक्की सड़क का निर्माण कार्य किया गया जब भारत आजाद हो गया उसके बाद 1959 में राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी की स्थापना मसूरी में की गई| 

Mussoorie places to visit | मसूरी के आसपास पढ़ने वाले कुछ प्रमुख स्थल

Maa Surkanda Temple | सुरकंडा देवी मंदिर

मां सुरकंडा देवी मंदिर मसूरी से 36 किलोमीटर की दूरी पर है यह मंदिर प्राचीन मंदिरों में से एक है 51 शक्तिपीठों में मां सुरकंडा देवी का मंदिर भी आता है मां सुरकंडा इस मंदिर में काली के रूप में विराजमान हैं यह मंदिर उत्तराखंड के टिहरी जिले में स्थित है

 मंदिर तक पहुंचने के लिए टूरिस्टो को कद्दूखाल से 3 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी पड़ती है समुद्र तल से इस मंदिर की ऊंचाई लगभग 2757 मीटर है यह मंदिर पर्वत की चोटी पर स्थित है इस मंदिर के चारों तरफ घने जंगल हैं सुरकंडा देवी मंदिर से देहरादून और ऋषिकेश शहर का सुंदर नजारा देखने को मिलता है| 

मां सुरकंडा का दरबार वर्ष भर खुला रहता है मां सुरकंडा से नीलकंठ पर्वत चौखंबा पर्वत केदारनाथ पर्वत दिखाई देते हैं मां सुरकंडा की मंदिर पर्वत की चोटी पर होने के कारण यहां से बहुत सारी पर्वत श्रृंखलाएं दिखाई देती है यहां पर जाने के बाद पर्यटकों को आनंद की अनुभूति होती है एवं प्राकृतिक सौंदर्य का भरपूर आनंद उठाते हैं

Maa Surkanda Temple | सुरकंडा देवी की पौराणिक कथा

मां सुरकंडा देवी की कथा सतयुग से प्रारंभ होती है  भगवान शंकर का जब देवी सती के साथ विवाह हो रहा था उस समय देवी सती ने अपने पिता दक्ष प्रजापति द्वारा अपमान किए जाने पर यज्ञ कुंड में योगाग्नि द्वारा देह का त्याग कर दिया था

  उसके बाद भगवान शंकर माता सती के मृत शरीर को लेकर पूरे ब्रह्मांड का चक्कर लगाने लगे उनकी इस स्थिति को देखकर भगवान विष्णु को बहुत दुख हुआ और उन्होंने सुदर्शन चक्र को भेजा और सुदर्शन चक्र ने देवी सती के उस मृत शरीर के 51 टुकड़े कर दिए जब देवी सती के 51 भाग धरती पर अलग-अलग स्थानों में गिरे तो वे सिद्ध पीठ कहलाए उन्हीं सिद्ध पीठों में मां सुरकंडा एक है

 मां सुरकंडा में देवी सती का सिर गिरा था इसलिए इसे सुरकंडा कहा जाता है सुरकंडा देवी मंदिर में गंगा दशहरा का त्यौहार जो हर साल मई और जून के बीच आता है विशेष रूप से मनाया जाता है|

Maa Surkanda Temple | मां सुरकंडा मंदिर जाने के लिए मार्ग

बाय ट्रेन

मां सुरकंडा आने के लिए नजदीकी रेलवे स्टेशन उसके हरिद्वार देहरादून और  ऋषिकेश है आप यहां से टैक्सी बुक करा कर मंदिर तक पहुंच सकते हैं

बाय रोड 

देहरादून से मसूरी होते हुए 73 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद कद्दूखाल पहुंच पहुंच कर यहां से 2 से3किलोमीटर की दूरी पैदल तय करनी होगी उसके बाद आप मां सुरकंडा मंदिर पहुंच जाएंगे ऋषिकेश से 82 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद आप यहां पहुंच सकते हैं

Dhanaulti | धनोल्टी

मसूरी से धनोल्टी की दूरी लगभग 30 किलोमीटर है धनोल्टी टिहरी रोड पर पड़ता है यह जगह खूबसूरत एवं शांत जगह है धनोल्टी देवदार के वृक्षों से चारों तरफ से घिरा हुआ है यहां पर गढ़वाल मंडल टूरिज्म का गेस्ट हाउस बना हुआ है अगर आपको एकांत में रहना पसंद है तोधनोल्टी आपके लिए सबसे सुंदर जगह है प्राकृतिक वातावरण के बीच यह स्थान प्राकृतिक सौंदर्य से भरा हुआ है

Tourist place | पर्यटकों के लिए

पर्यटकों के लिए यह स्थान बहुत सुंदर है धनोल्टी को शांतिपूर्ण स्थल के नाम से भी जाना जाता है धनोल्टी में पहाड़ों पर वनों के बीच गुजरते हुए ढलान आती है जिसमे चलने पर आपको अछा महसूस होगा यहां का मौसम बहुत सुंदर है यहां पर बर्फ गिरने के कारण पहाड़ बर्फ से ढके रहते हैं 

अगर आपको शांतिपूर्ण माहौल पसंद है तो यह जगह आपके लिए सबसे अच्छी है यहां पर देखने वाली जगह हैं जैसे  बारेही पानी एवं जोराडा फाल्स, दशावतार मंदिर, इको पार्क, के साथ-साथ यहां पर दूर-दूर तक सुंदर पहाड़ दिखाई देते हैं यहां से हिमालय भी दिखाई देता है

 यहां पर लोग सर्दियों में स्नोफॉल का मजा लेने आते हैं| जिन लोगों को घुड़सवारी पसंद है वे लोग  धनोल्टी में घुड़सवारी का भी भरपूर आनंद ले सकते हैं यह साल भर बर्फबारी होती रहती है एवं हमेशा मौसम ठंडा ही रहता है  जिन लोगों को एडवेंचर पसंद है उनके लिए भी यह बहुत सुन्दर जगह है वे  यहां जरूर आएं और जिन पर्यटकों को कैंपिंग करना अच्छा लगता है उनके लिए भी  यह बहुत सुंदर जगह है

Mussoorie Bhadra Raj Temple | मसूरी भद्र राज मंदिर 

Tourist place | पर्यटकों के लिए

भद्र राज मंदिर भगवान कृष्ण के छोटे भाई बाल भद्रा के नाम से प्रसिद्ध है यह मंदिर मसूरी से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यह  मंदिर हिंदुओं का धार्मिक स्थल है यहां पर सालभर बर्फ गिरती रहती है एवं मौसम हमेशा ठंडा रहता है

 इसी  कारण यह पर्यटकों के लिए गर्मियों  के समय में आने के लिए बहुत सुंदर स्थान है यहां पर पर्यटक ट्रेकिंग के लिए आते हैं यहां से दूर-दूर तक पहाड़ों की श्रृंखलाएं दिखाई देती हैं

इसके साथ साथ जौनसार बावर का तराई क्षेत्र भी दिखाई देता है मसूरी से कम दूरी होने के कारण पर्यटक यहां आराम से आ जा सकते हैं एवं मंदिर में भगवान भद्र  राज के दर्शन भी प्राप्त कर सकते हैं| 

Nagtibba | नागटिब्बा

Tourist place | पर्यटकों के लिए

जिन लोगों को पहाड़ों में घूमना बहुत पसंद है  जो लोग पहाड़ों में चल सकते हैं उनके लिए नाग टिब्बा एक बहुत बेहतरीन जगह है नाग टिब्बा  ट्रैकिंग के लिए बहुत फेमस है नाग टिब्बा चारों तरफ से प्राकृतिक सौंदर्य से घिरा हुआ है एवं यहाँ से  पहाड़ियों को देखने पर बहुत आनंद प्राप्त होता है

 नाग टिब्बा से आप हिमालय का दर्शन आराम से कर सकते हैं फत थत्यूड़  नाग टिब्बा  ट्रेकिंग के लिए एक आधार का काम करता है मसूरी से नागटिब्बा  की दूरी 75 किलोमीटर के आसपास है नाग टिब्बा जौनपुर रेंज उत्तराखंड में पड़ता है थत्यूड़  चंबा मसूरी रोड पर स्थित सुवाखोली नामक स्थान से लगभग 16 कि मी की दुरी पर एक छोटा सा गाँव है

 यहाँ से धनोल्टी की दुरी 23 की मि है थत्यूड़ से 7 की मि की दुरी पर देवलसारी होते हुए वह ट्रेक नागटिब्बा तक जाता है यहाँ पर वन विभाग का विश्राम गृह आता है यहाँ से 14 की। मि की दुरी पर नाग टिब्बा आता है

 जहाँ पर टूरिस्ट ट्रेकिंग करना पसंद करते है यहां पूरे साल भर बर्फ गिरती रहती है एवं यहां की पहाड़ियां बर्फ से घिरी रहती हैं तथा गर्मियों में  यहां का मौसम बहुत सुंदर होता है इसे देखने पर्यटक यहां आते रहते हैं


Mussoorie Lake | मसूरी झील

Tourist place| पर्यटकों के लिए

अगर आप मसूरी घूमने आए हैं तो मसूरी झील जरूर आए मसूरी झील उत्तराखंड की खूबसूरत  झीलों  में से एक है यहां का ठंडा वातावरण आपको बहुत पसंद आएगा यह मसूरी का मुख्य पर्यटन स्थल है मसूरी झील में पेंडल वोटिंग की सुविधा भी उपलब्ध है 

सूरी झील से दून घाटी के चारों तरफ का सुंदर दृश्य दिखाई देता है इस निर्मल झील में नौका से तैरते हुए आप सुंदर फिजाओं के बीच और नीले आसमान के तले सुंदर नजारों का आनंद ले सकते हैं यहां पर हर समय पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है

 वातावरण की दृष्टि से मसूरी झील बहुत सुंदर है एवं चारों तरफ प्रकृति अपनी छटा बिखरती हुई दिखाई देती है इस झील में बहुत साड़ी बत्तख है जो इस झील में  पाली जाती है  इस झील को देहरादून प्राधिकरण द्वारा विकसित किया गया है यह झील देहरादून मसूरी रोड पर स्थित है ऊंची पहाड़ियों के बीच वोटिंग करने का आनंद आपको इस मसूरी झील में आएगा| 

Know More Do you know where are the religious and tourist places in Dehradun?

Mussoorie Map

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