Kashi Vishwanath Temple - Varanasi
Kashi Vishwanath Temple |
काशी विश्वनाथ मंदिर उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी जिले में स्थित है|
काशी में विश्वनाथ मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। काशी विश्वनाथ मंदिर हिन्दुओं का पवित्र स्थान है इस मंदिर का हिंदू धर्म में एक विशिष्ट स्थान है।
पुराणों में कहा गया है की एक बार काशी विश्वनाथ के दर्शन करने और पवित्र गंगा में स्नान कर लेने से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।
इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आदि गुरु शंकराचार्य जी , सन्त एकनाथ जी , रामकृष्ण परमहंस जी , स्वामी विवेकानंद जी , महर्षि दयानंद जी , एवं गोस्वामी तुलसीदास सभी ने काशी विश्वनाथ जी के दर्शन किये।
इसी स्थान पर सन्त एकनाथजी ने वारकरी सम्प्रदाय का महान ग्रन्थ श्रीएकनाथी भागवत लिखी थी|
उसके बाद काशी राजा एवं विद्वतजनों द्वारा उस ग्रन्थ की हाथी पर बैठकर शोभायात्रा निकाली गयी।
काशी विश्वनाथ मंदिर में महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर मध्य रात्रि में प्रमुख मंदिरों से भव्य शोभा यात्रा धूम धाम के साथ बाबा विश्वनाथ जी के स्थान तक जाती है।
Kashi Vishwanath Temple - Varanasi |
वर्त्तमान समय में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के दृढ़ संकल्प और इच्छा शक्ति से काशी कारीडोर के अन्तर्गत काशी विश्वनाथ जी के मंदिर का विस्तार करके नया रूप दिया गया जो की अद्भुत और अकल्पनीय था|
काशी में रहने वाले काशी वासियों ने ऐसी कल्पना भी नहीं की होगी |
लेकिन माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी ने 8 मार्च 2019 को काशी विश्वनाथ कारीडोर का शिलान्यास किया|
लगभग 32 महिनों के अनवरत निर्माण कार्य के बाद 13 दिसम्बर 2021 मोदी जी द्वारा काशी विश्वनाथ कारीडोर का लोकार्पण किया गया |
History of Kashi Vishwanath Temple
उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी शहर में स्थित भगवान शिव का यह भव्य मंदिर हिंदूओं के प्राचीन मंदिरों में से एक है,
यह मंदिर गंगा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि यह काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव और माता पार्वती का स्थान है।
ऐसा वृतांन्त मिलता है की जब देवी पार्वती अपने पिता के घर में रह रही थीं जहां उन्हें रहना बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था.
तब देवी पार्वती ने एक दिन भगवना शिव से उन्हें अपने घर ले जाने के लिए कहा. तत्पश्चात भगवान शिव ने देवी पार्वती की बात मानकर उन्हें काशी लेकर आ गए और यहां विश्वनाथ-ज्योतिर्लिंग के रूप में खुद को स्थापित कर लिया|
भगवान् शिव ने ही कशी नगरी बनाई थी|
पौराणिक कथाओं के अनुसार, काशी नगर की स्थापना भगवान शिव के द्वारा लगभग ५००० वर्ष पहले की थी,
जिस कारण यह स्थान आज एक महत्त्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। ये स्थान हिन्दुओं की पवित्र सप्तपुरियों में से एक है।
हमें स्कन्द पुराण, रामायण एवं महाभारत सहित प्राचीनतम ऋग्वेद में इस नगर का उल्लेख देखने को मिलता है।
काशी विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार 11 वीं सदी में राजा हरीशचन्द्र ने करवाया था और वर्ष 1194 में मुहम्मद गौरी ने मंदिर को तुड़वा दिया था।
जिसे एक बार फिर बनाया गया | लेकिन वर्ष 1447 में पुनं इसे जौनपुर के सुल्तान महमूद शाह ने तुड़वा दिया।
पुनः 1585 में राजा टोडरमल की सहायता से पंडित नारायण भट्ट द्वारा मंदिर का निर्माण किया गया|
एक बार फिर से सन 1632 में शाहजहां ने इस मंदिर तोड़ने के लिए अपनी सेना भेज दी लेकिन हिन्दुओं के प्रबल विरोध के कारण वे मंदिर के गर्भ गृह को नहीं तोड़ पाए लेकिन काशी के 63 अन्य मंदिर तोड़ दिए गए|
इसी के साथ में ओरंगजेब ने प्रतिदिन हजारो की संख्या में ब्राह्मणो को मुसलमान बनाने का आदेश भी दिया था|
काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण
वर्तमान समय में विद्यमान काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण महारानी अहिल्या बाई होल्कर द्वारा सन् 1780 में पूरा करवाया गया था।
उससे पहले भी कई बार इस मंदिर को मुगलों द्वारा तोडा गया और फिर हिन्दुओं ने इस मंदिर को बनाया ऐसा हिन्दू मंदिरो के साथ कई बार हुआ|
महारानी अहिल्या बाई होल्कर ने जब मंदिर बनवाया था तो उस समय मंदिर पर सोने का इस्तमाल नहीं किया गया था|
बाद में महाराजा रणजीत सिंह ने 1853 में 1000 कि.ग्रा के शुद्ध सोने से इस मंदिर को बनवाने का कार्य किया था।
काशी विश्वनाथ मंदिरअहिल्या बाई होल्कर द्वारा 1780 में बनाया गया था |
Kashi Vishwanath Temple
Kashi Vishwanath Temple |
बहुत से लोग काशी विश्वनाथ मंदिर को वाराणसी में सबसे प्रमुख मंदिर के रूप में देखते हैं, और कुछ काशी विश्वनाथ मंदिर को पूरे देश में सबसे महत्वपूर्ण मंदिर मानते हैं।
आपको बता दें, इस मंदिर की कहानी ५००० साल से भी अधिक पुरानी है। काशी विश्वनाथ मंदिर जो की 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है,
जिसके दर्शन करने के लिए हर साल लाखों संख्या में शिव के भक्त यहां आते हैं।
कई भक्तों का मानना है यह है कि शिवलिंग की एक झलक ही आपकी आत्मा को शुद्ध कर देती है और जीवन को ज्ञान के मार्ग पर ले जाती है।
काशी विश्वनाथ के प्रति हिन्दुओं की धारणा
काशी विश्वनाथ के लिए सत्य सनातन धर्म में कहते हैं कि प्रलयकाल के समय में भी इसका लोप नहीं हो सकता है।
प्रलय के समय भगवान शंकर इस स्थान को अपने त्रिशूल पर धारण कर लेते हैं और इसे निचे तभी उतारते है जब सृष्टि काल प्रारम्भ हो जाता हैं। इसलिए यह स्थान अविनाशी है |
यही नहीं, अपितु आदि सृष्टि की स्थली भी यहीं भूमि बतलायी गई है।
यह वही स्थान है जहां पर भगवान विष्णु ने सृष्टि उत्पन्न करने की कामना से घोर तपस्या करके आशुतोष भगवान को प्रसन्न किया था
और उसके बाद भगवान् विष्णु के शयन करने के बाद उनके नाभि-कमल से ब्रह्मा जी उत्पन्न हुए थे , भगवान् ब्रह्मा जी ने सारे संसार की रचना की थी।
अगस्त्य मुनि ने भी भगवान् विश्वेश्वर की बड़ी आराधना की थी और उन्हें प्रसन्न किया था|
इन्हीं की तपस्या करके श्रीवशिष्ठजी तीनों लोकों में पूजे जाते है तथा राजर्षि विश्वामित्र भी इन्ही की कृपा से ब्रह्मर्षि कहलाये थे।
कैसे पहुंचें:
वायु मार्ग
वाराणसी और नई दिल्ली के बीच लगातार उड़ान कनेक्शन है यह उड़ाने वाराणसी को भारत के सभी प्रमुख नगरों से जोड़कर रखती है|
ट्रेन द्वारा
वाराणसी यहां का प्रमुख रेल जंक्शन है। यह शहर पूरे देश के सभी महानगरों और प्रमुख शहरों से अच्छे से जुड़ा हुआ है।
सड़क के द्वारा
वाराणसी में (राष्ट्रीय राजमार्ग) भारत के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है|
Kashi Vishwanath Temple Varanasi Map
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