Varanasi
Varanasi |
उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित वाराणसी प्राचीन मंदिरों और ऐतिहासिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है|
वाराणसी शहर, भारतीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के बीच मे धार्मिक एवं लोकप्रिय गंतव्य है।
वाराणसी के आस - पास कई धार्मिक स्थल है , इसके अलावा ट्रेकिंग स्पॉट और वन्यजीव अभयारण्य हैं जो की इस जगह की सुंदरता को बहुत सुंदर एवं प्राकृतिक सौन्दर्य के साथ प्रदर्शित करता हैं।
वाराणसी को हिन्दू धर्म में एक पवित्र नगर के रूप में जाना जाता है| इसे अविमुक्त क्षेत्र भी कहा जाता है।
इसके अतिरिक्त वारणशी बौद्ध एवं जैन धर्म में भी यह एक आस्था के मुख्य केंद्र है।
यह शहर संसार के सबसे प्राचीन बसे हुए शहरों में से एक है।
वाराणसी नाम का उद्गम ही यहां की दो स्थानीय नदियों वरुणा नदी एवं असि नदी के नाम से मिलकर हुआ है। ये दोनों नदियाँ गंगा जी में उत्तर एवं दक्षिण से आकर संगम करती हैं।
प्रारंभिक समय से ही वाराणसी को अविमुक्त क्षेत्र, आनंद-कानन, महाश्मशान, सुरंधन, ब्रह्मावर्त, सुदर्शन, रम्य, काशी आदि नामों से भी जाना जाता रहा है|
धार्मिक ग्रन्थ ऋग्वेद में इस शहर को काशी या कासी नाम से बुलाया गया है।
इस शब्द को प्रकाशित शब्द से लिया गया है, जिसका अभिप्राय यह जानना है की शहर का ऐतिहासिक ज्ञान स्तर कितना है,
क्योंकि यह वाराणसी शहर सदा से ही ज्ञान, शिक्षा एवं संस्कृति का केन्द्र रहा है। और हमेसा अग्रणी रहा है,
वाराणसी, शहर उत्तर प्रदेश के सबसे प्राचीन शहरों में से एक है। वाराणसी शहर को भगवान शिव की नगरी के नाम से भी जाना जाता है | और शिव की नगरी के नाम से ही विश्व भर में मशहूर है।
वाराणसी में घाट
Varanasi Ghat |
अगर हम वाराणसी में घाटों की बात करे तो वर्तमान समय में वाराणसी में लगभग १०० से भी अधिक घाट हैं। और सभी घाटों पर आस्था से जुड़े लोग हो या पर्यटक हो स्थानीय लोग हो माँ गंगा में डुबकी लगाते है|
इस शहर के कई घाट तो मराठा साम्राज्य के काल में बनवाये गए थे।
जो की अभी तक देखने को मिलते है| वर्तमान वाराणसी के संरक्षकों में देखा जाये तो मराठा, शिंदे (सिंधिया), होल्कर, भोंसले और पेशवा परिवार के महान पुरुष ही रहे हैं।
इनमे ज्यादातर घाट स्नान-घाट के लिए ही बने हैं, कुछ घाट अन्त्येष्टि घाट हैं। कई घाट तो ऐसे है जी की किसी धार्मिक कथा आदि से जुड़े हुए हैं, जैसे की मणिकर्णिका घाट,हो गया |
Visiting Temples in Varanasi
वाराणसी को आप मंदिरों का नगर के नाम से भी सम्भोधित कर सकते हो। वारणसी का यह सौभाग्य रहा है की यहां लगभग हर एक चौराहे पर आपको एक मंदिर के दर्शन होंगे| जिससे हमारे मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार अधिक होता है।
यहां पर स्थानीय लोग दैनिक पूजा पाठ करते हैं। इनके साथ ही बनारस में प्रसिद्ध मंदिर के साथ सिद्ध स्थान भी हैं, जो की वाराणसी के इतिहास में समय समय पर बनवाये गये थे।
इनमें काशी विश्वनाथ मंदिरसबसे प्रसिद्ध और भक्तो की आस्था का मुख्य केंद्र भी है,
इसी के साथ अन्नपूर्णा मंदिर, ढुंढिराज गणेश, काल भैरव, दुर्गा जी का मंदिर, संकटमोचन, तुलसी मानस मंदिर, नया विश्वनाथ मंदिर, भारतमाता मंदिर, संकठा देवी मंदिर व विशालाक्षी मंदिर आदि यहाँ के प्रमुख मंदिर और आस्था का प्रमुख केंद्र हैं।
बनारस में काशी विश्वनाथ मंदिर, ही है जिसे कई बार स्वर्ण मंदिर भी कहा जाता है,
अभी जो वर्तमान रूप में मंदिर है उसे १७८० में इंदौर की महारानी अहिल्या बाई होल्कर के द्वारा बनवाया गया था। काशी विश्वनाथ मंदिर गंगा नदी के दशाश्वमेध घाट के नजदीक में ही स्थित है।
इस मंदिर की पुरे काशी में सर्वोच्च महिमा बताई गयी है, क्योंकि यहां पर विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग स्थापित है।
इस ज्योतिर्लिंग का एक बार दर्शनमात्र ही किसी भी अन्य ज्योतिर्लिंग से कई गुणा अधिक फलदायी होता है।
Chandraprabha Wildlife Sanctuary Varanasi |
Chandraprabha Wildlife Sanctuary - Chandaul
Chandraprabha Wildlife Sanctuary - Chandaul |
चंद्रप्रभा वाइल्डलाइफ सेंचुरी को चंद्रप्रभा नाम से भी सम्भोधित किया जाता है. चंदौल जिले में स्थित यह अभ्यारण्य घने जंगलों, जैसे अनेक वन सम्पदाओं के साथ राजदार और देवदारी प्राकृतिक झरनों से भी संपन्न है,
यहां की सौन्दर्यता प्रति वर्ष हजारों पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करती हैं.
Chandraprabha Wildlife Sanctuary Varanasi |
अगर आप वाराणसी घूमने आते हो तो चंद्रप्रभा वाइल्डलाइफ सेंचुरी देखने जरूर जाए 78 वर्ग किलोमीटर के इस जंगल में पशु-पक्षियों की 650 से भी अधिक प्रजातियों का निवास स्थान है।
यहां पर नदियां, झरने और बहुत सुन्दर जल प्रपात भी हैं। इनमे दो जल प्रपात तो ऐसे है जिन्हे देखने के लिए यहां पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है देवदारी और राजदरी यहां के मुख्य जल प्रपात है
ये जल प्रपात वाराणसी के प्रसिद्ध जल प्रपात है जिन्हे देखने देश विदेश से लोग यहां आते रहते है|यहां पर चारो तरफ से विशाल जंगल है|
उस जंगल के बिच में ये दो जलप्रपात है ये दोनों जल प्रपात आपस में 1 किलो मीटर की दुरी पर है|
1957 में केंद्र सरकार ने वन्य जीवों के लिए एक पहल की और यहां पर वन्यजीवों के संरक्षण के लिए प्रयास शुरू किए।
1958 में यहां पर पहली बार तीन एशियाई शेर दिखाई दिए। और धीरे-धीरे इनका परिवार बढ़ने लगा जिसके कारण 1969 तक इस अभयारण्य में 11 शेरों की गिनती की गयी।
इसके कुछ समय बाद जंगल में इंसानों की दखलंदाजी बहुत अधिक बढ़ गई। बहुत अधिक शिकार करने का नतीजा यह हुआ कि 70’ के दशक के बाद से इस जंगल में शेर नहीं दिखाई दिए।
Chandraprabha Wildlife Sanctuary Varanasi |
कैसे पहुंचे
आप वाराणसी तक हवाई मार्ग/ सड़क/रेल मार्ग के द्वारा आसानी से जा सकते हैं.
Chandraprabha Wildlife Sanctuary - Varanasi Map
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