Dakshin Kali Temple Haridwar
Dakshin Kali Temple |
धर्म नगरी हरिद्वार में चण्डी पुल के समीप नील पर्वत माला एवं गंगा की तलहटी में दक्षिण काली मंदिर स्थित है|
तीर्थ नगरी हरिद्वार में स्थित प्राचीन दक्षिण काली मंदिर एक सिद्धपीठ है।
यहाँ की यह मान्यता है कि यहां आने वाले सभी भक्तों की मनोकामना पूरी होती है।
अक्सर आप देखते होंगे की मंदिरों के नाम वहां पर स्थापित भगवान की मूर्ति या फिर उस जगह खास महत्त्व हो उसके आधार पर पर रखा जाता है।
लेकिन हरिद्वार में यह मात्र एक ऐसा मंदिर देखने को मिलता है जिसमें काली माता की मूर्ति का मूख तो पूर्व दिशा की ओर है| लेकिन मंदिर का नाम माँ दक्षिण काली मंदिर है।
मंदिर में स्थापित मां काली की प्रतिमा का मुख तो पूर्व दिशा की ओर ही है। लेकिन गंगा माँ यहां पर दक्षिण दिशा की ओर बहती है। यही वजह है कि इस मंदिर को माँ दक्षिण काली मंदिर के नाम से जाना जाता है।
हरिद्वार में चण्डी पुल मार्ग पर स्थित यह दक्षिण काली मंदिर माँ काली की सिद्धपीठ है। ऐसी मान्यता है कि माँ काली का ऐसा भव्य मन्दिर या तो कोलकाता में है या फिर यहाँ हरिद्वार में है|
नवरात्रों के समय यहां पर मां काली की विशेष पूजा अर्चना होती है. पौराणिक ब्रह्मकुंड के ऊपर स्थित माँ काली का वर्णन स्कंध पुराण में भी किया गया है.
ऐसा माना जाता है कि स्वयं बाबा भैरव माँ काली सिद्ध पीठ की रक्षा करते है|
यहां आने वाले हर भक्त की मनोकामना जरूर पूरी होती है। यहां पर मंगलवार और शनिवार को अधिक भीड़ रहती है|
सप्ताह के इन दो दिनों में यहां पर माता की विशेष आरती होती है और इस आरती को देखने माता के भक्त अधिक संख्या में आते है |
इस मंदिर में आप आराम से बेठकर पूजा पाठ कर सकते है| मंदिर के चारो तरफ खुला स्थान है,
अगर आप भी किसी धार्मिक यात्रा का प्लान बना रहे हैं और जगह की तलाश कर रहे हैं तो आप हरिद्वार के इस अद्भुत दक्षिण काली मंदिर आने का ट्रिप प्लान कर सकते हैं।
Dakshin Kali Temple Haridwar |
हर शनिवार के दिन सायं कालीन आरती में माता के भक्त अधिक संख्या में यहाँ आते है|
माँ दक्षिण काली के दरबार में शनिवार का विशेष महत्त्व है|
दक्षिण काली मंदिर की कहानी - हरिद्वार Story of Dakshin Kali Temple - Haridwar
माँ काली के परम भक्त कामराज गुरु जी ने माँ भगवती काली की खोज करते हुए पुरे भारत में भ्रमण करने लगे भ्रमण करते हुए जब वे कजरी वन स्थित नील पर्वत की तलहटी में पहुंचे तो कल -कल निनादनि करती हुई माँ गंगा के दक्षिण तट पर एक अति प्राचीन गुफा में चिर काल से स्थापित माँ काली की एक दिव्य एवं प्रत्यक्ष प्रतिमा होने का एहसास हुआ पूज्य कामराज गुरु जी यहां आकर माँ की प्रतिमा देखकर भाव विभोर हो जाते है|
उसके बाद गुरु जी यहां पर बहुत वर्षो तक कठोर तपस्या करते है|
उनकी घोर साधना के फलस्वरूप प्रसन्न मूर्ति माँ काली को प्रसन्न किया उसके बाद पूज्य गुरु जी के प्रति माँ काली का पुत्रवत व्यवहार होने लगा |
देखते -देखते कामराज महाराज जी को दक्षिण काली ने आज्ञा दी की वास्तु कलां से निर्मित मेरा एक भव्य मंदिर का निर्माण करो;
Dakshin Kali Temple |
आज्ञा पाते ही पूज्य कामराज गुरु जी ने 108 नरमुण्डों पर इस मंदिर का निर्माण करवाया और अपने आराध्य देवी माँ काली एवं भैरव जी को स्थापित किया|
उसके कुछ समय पश्चात वि. स. 1753 ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष सप्तमी के दिन अपने प्रिय शिष्य कालिकानंद महाराज जी को माँ की सेवा सौंप कर महादेव जी की सेवा के लिए हिमालय की यात्रा के लिए प्रस्थान किया |
माँ काली के इस दरबार में वर्षों पुराना त्रिशूल और शनिवार का विशेष महत्व है|
माँ काली के इस मंदिर में गर्भ गृह के कोने में वर्षों पुराना त्रिशूल आज भी लगा विद्यमान है.
जिसे देखकर इस मंदिर की प्राचीनता का स्वाभाविक रूप से अंदाजा लगाया जा सकता है.|
नवरात्रि के अलावा भी प्रत्येक शनिवार लोग यहाँ जरूर आते है इनमे वे लोग ज्यादा पहुंचते है, जो परेशान रहते हैं. माँ काली के इस मंदिर में आकर उनका तनाव और परेशानी दूर होती है.
बाबा कामराज जी द्वारा दक्षिण काली मंदिर की स्थापना Establishment of Dakshin Kali Temple by Baba Kamaraj
प्राचीन दक्षिण काली मंदिर की स्थापना बाबा कामराज जी ने की थी।
ऐसा कहा जाता है कि काली मां ने उन्हें स्वप्न में इस मंदिर की स्थापना करने का आदेश दिया था।
इसके अलावा भी बाबा कामराज द्वारा इसी जगह पर आल्हा और उनकी पत्नी मछला को यहां पर दीक्षा दी गई थी।
दक्षिण काली मंदिर के चारों ओर का दृश्य Surrounding view of Dakshin Kali Temple
आप जब दक्षिण काली मंदिर दर्शन करने जायेंगे तो आपको हरिद्वार से टेक्सी या ऑटोरिक्शा में बैठकर चण्डी पुल होते हुए माँ दक्षिण काली मंदिर आना होगा|
इस मंदिर के आगे से ही माँ चण्डी देवी जाने के लिए पैदल मार्ग पड़ता है|
अगर आपको माँ चंडी देवी जाना है तो आप पैदल मार्ग से अपना सफर शुरू कर सकते है|
पैदल चलकर जब आप पहाड़ी की छोटी पर पहुंचोगे तो आपको हरिद्वार का पूरा नजारा देखने को मिलेगा जो की सुबह और शाम के समय बहुत ही सुंदर और मन को मोहने वाला होता है|
यहाँ पर आने के बाद माता के भक्त माँ के दर्शन करकेऔर माँ चंडी देवी का आर्शीवाद पाकर धन्य हो जाते है|
माँ दक्षिण काली की मदिर रोड के पास में ही स्थित है|
यह मंदिर राजाजी नेशनल पार्क के पास में ही स्थित है इस मंदिर से आगे आपको राजाजी नेशनल पार्क के लिए मार्ग दिखाई देगा इस पार्क में आपको जंगली जिव जंतु के साथ में प्राकृतिक सौन्दर्य भी देखने को मिलेगा|
मंदिर के पश्चिम में आपको गंगा माँ के दर्शन होंगे जो की कल कल की आवाज करते हुए निरंतर इस धरा में सभी प्राणियों का कल्याण करती आ रही है|
यहाँ से हरिद्वार के साथ में माँ चण्डी देवी और मनसा देवी की सुन्दर मंदिरे दिखाई देती है|
Dakshin Kali Mandir Haridwar Map
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