Shahi Jama Masjid - Agra
आगरा में स्थित जामा मस्जिद एक विशाल मस्जिद है,
यह मस्जिद शाहजहाँ की पुत्री, शाहजा़दी जहाँआरा बेगम़ को समर्पित किया गया है।
इस मस्जिद का निर्माण 1648 में शाहजहाँ की पुत्री जहाँआरा बेगम़ ने करवाया था
यह मस्जिद अपने मीनार रहित ढाँचे तथा एक विषेश प्रकार के गुम्बद के कारण जानी जाती है।
जामा मस्जिद का निर्माण कार्य 1571 में अकबर के शासनकाल के दौरान ही प्रारम्भ हो गया था।
फतेहपुर सीकरी का निर्माण भी इसी मस्जिद के निर्माण के समय हुआ था |
इससे इन मस्जिदों के महत्व का पता चलता है।
जामा मस्जिद का बरामदा बहुत बड़ा है और इसके दोनों तरफ जम्मत खाना हॉल और जनाना रौजा बनवाया गया हैं।
जामा मस्जिद से यहाँ के प्रसिद्ध सूफी शेख सलीम चिश्ती की मजार दिखाई पड़ती है जो की कलाकारी का एक अद्भुत नमूना प्रतीत होता है।
पूरी जामा मस्जिद खूबसूरत नक्काशी के साथ साथ में रंगीन टाइलों से सजी हुई है।
बुलंद दरवाजे से होते हुए जामा मस्जिद तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।
इसके अतिरिक्त यहां पर बादशाही दरवाजा भी मौजूद है।
इसकी बनावट एवं खूबसूरती भी देखते ही बनती है।
इस मस्जिद को जामी मस्जिद और जुमा मस्जिद के नाम से भी जाना जाता है।
इस मस्जिद का निर्माण लाल बलुआ पत्थर से किया गया है और इसे सफेद रंग के संगमरमर से सजाया गया है।
इस मस्जिद के दीवार और छत पर नीले रंग के पेंट का प्रयोग किया गया है।
जामा मस्जिद की खासियत क्या है ?
शहर के बीचों बिच में आगरा फोर्ट रेलवे स्टेशन के सामने स्थित यह मस्जिद भारत के विशाल मस्जिदों में से एक है।
यह जामा मस्जिद ऊंची नींव पर बना हुआ है|
जमा मस्जिद के बीच में जो प्रांगण है |
वह इतना विशाल है कि यहां एक ही समय में 10000 लोग नमाज अदा कर सकते हैं।
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