Name of Char Dham | Names of 4 Dhams of India
Char dham |
हिंदू सनातन धर्म में चार धाम का बहुत बड़ा महत्व है हिंदुओं के लिए इन चारों धामों की यात्रा उतना ही महत्व रखती है जितना काशी की यात्रा महत्व रखती है हिंदू धर्म के लोग अपने जीवन में एक बार अवश्य इन चारों धामों की यात्रा करते हैं यह चारों धाम हिंदुओं के पुण्य एवं पवित्र स्थल है
भारत वर्ष में स्थापित चारों धामों की स्थापना जगद्गुरु शंकराचार्य जी ने की थी इसके साथ साथ उन्होंने चार मठों की स्थापना भी की थी शंकराचार्य जी द्वारा जो चार मठ स्थापित किए गए उन मठों में गुरु शिष्य की परंपरा चली आ रही है
इन चार मठों में रहने वाले संत ही मठाधीशों के रूप में नियुक्त हो जाते हैं और आगे चलकर वही स्वयं शंकराचार्य की उपाधि ले लेते हैं अगर कोई सन्यास लेता है तो वह उसी मठ के अंतर्गत आने वाले दशनामी संप्रदाय में से किसी एक संप्रदाय की साधना उसकी पद्धति के अनुसार कर सकता है
शंकराचार्य जी के उपदेश आत्मा और परमात्मा का एक रूप हो जाना पर आधारित है जिस तरह परमात्मा सगुण रूप में निवास करते हैं उसी तरह परमात्मा निर्गुण रूप में भी निवास करते हैं भगवान दोनों रूपों में रहते हैं
Names of Char Dhams of India
आदि गुरु शंकराचार्य जी ने धर्म की रक्षा के लिए चारों दिशाओं में चार धाम एवं चार मठों की स्थापना की जो इस प्रकार हैं
1. वेदान्त ज्ञानमठ | रामेश्वरम धाम
वेदांत ज्ञान मठ रामेश्वरम में स्थित है जो कि भारत के दक्षिणी छोर में पड़ता है जो भी वेदांत ज्ञान मठ से दीक्षा ग्रहण करता है वेदांत ज्ञान मठ से शिक्षा ग्रहण करने के बाद वहां के सन्यासियों के नाम के आगे सरस्वती, भारती, पूरी, अवश्य लगाया जाता है जिससे यह पता चल सके कि यह वेदांत ज्ञान मठ संप्रदाय के हैं
2. गोवर्धन मठ | जगन्नाथ पुरी धाम
गोवर्धन मठ उड़ीसा राज्य में जगन्नाथपुरी में स्थित है गोवर्धन मठ में शिक्षा ग्रहण करने के बाद इन्हें आर्य संप्रदाय नाम दिया जाता है जिससे उन्हें इस संप्रदाय का सन्यासी माना जाए
3. शारदा मठ | द्वारका धाम
शारदा मठ द्वारका धाम में स्थित है जो कि गुजरात जिले में आता है यहां पर अध्ययन करने के बाद सन्यासियों के नाम के आगे तीर्थ और आश्रम संप्रदाय जोड़ दिया जाता है जिससे यह पता चल सके कि यह शारदा मठ के हैं
4. ज्योतिर्मठ | बद्रीनाथ धाम
ज्योतिर मठ बद्रीनाथ में स्थित है जो उत्तराखंड राज्य में आता है यहां पर पढ़ने वाले सन्यासियों के नाम के आगे गिरी, सागर, संप्रदाय के नाम से जाना जाता है जिससे यह पता चल सके कि यह ज्योतिर मठ के हैं
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